NewsShot.in | November 20, 2025: सुप्रीम कोर्ट ने Indiabulls Probe (इंडियाबुल्स जांच) में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की “फ्रेंडली और कूल” अप्रोच पर कड़ा सवाल उठाते हुए कहा है कि इतने गंभीर वित्तीय आरोपों में इतनी नरम जांच अब तक देखी नहीं गई है।
मुख्य न्यायाधीश-नामित सुर्या कांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (अब सम्मन कैपिटल) से जुड़े मल्टी-लेयर्ड ट्रांजैक्शंस और संभावित राउंड-ट्रिपिंग के आरोप जनता के हित से जुड़े हैं और इनकी गहराई से जांच जरूरी है।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि अगर आरोपों का एक छोटा हिस्सा भी प्रथमदृष्टया सही पाया जाता है, तो तुरंत FIR दर्ज कर जांच आगे बढ़नी चाहिए ताकि ED, SFIO और SEBI जैसी एजेंसियों के हाथ मजबूत हों।
दिल्ली पुलिस EOW की जांच पर भी सवाल
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने अपनी शिकायत दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को भेजी थी, लेकिन शाखा ने बिना ठोस आधार बताए मामले को बंद कर दिया। इस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि एक वरिष्ठ अधिकारी पूरी जांच रिपोर्ट के साथ कोर्ट में पेश हों।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय पर भी उठे प्रश्न
कोर्ट ने यह भी पूछा कि कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने SEBI और ED द्वारा उठाए गए गवर्नेंस संबंधी मुद्दे क्यों बंद किए, और मंत्रालय का इस मामले में क्या हित है।
संयुक्त बैठक और SIT की संभावनाएँ
सुप्रीम कोर्ट ने CBI निदेशक को निर्देश दिया कि वह ED, SFIO और SEBI के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दो सप्ताह में संयुक्त बैठक करके आगे की जांच की योजना तैयार करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि आवश्यकता पड़ने पर SIT गठन पर विचार किया जा सकता है।
कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि वर्तमान कंपनी सम्मन कैपिटल के खिलाफ कोई आरोप नहीं है और कोर्ट की टिप्पणियां पूर्व प्रमोटरों से जुड़ी हैं।